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पंजाब/ बटाला (  आदर्श तुली )

 

बटाला के प्राचीन काली द्वारा मंदिर में शांत रूप में विराजमान काली मां की प्रतिमा सभी की मनोकामना पूर्ण करती है। काली मां को प्रतिदिन सुबह ड्राई फ्रूट,बर्फी, हल्वे का भोग लगाया जाता है । चमत्कारों से भरा इतिहास इस मंदिर का काली मां के दर्शन करने ,पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूर्ण होती है ।

मंदिर में इस समय महंतों की नौवीं व दसवीं पीढ़ी गद्दी पर विराजमान महंत शशि भूषण, महंत अमित शाह, महंत गगन पूजार्चना कर रहे है उक्त महंत द्वारा दी गई। जानकारी अनुसार मंदिर में विराजमान प्रतिमा रूप काली मां जो महन्तो के पूर्वजों को एक कुएं से मिली थी। इसको मंदिर में स्थापित किया गया। इतिहास के अनुसार कुएं से महन्तो के पूर्वजों को स्वप्न में दर्शन देते हुए कंजक रूप काली मां ने कहा कि मैं इस समय कुएं के अंदर हूं मुझे निकाला जाए। जब निकाला गया तो प्रतिमा रूप कंजक काली मां मंदिर में स्थापना की गई उसके बाद चमत्कारों का आए दिन होते रहना उसे समय लोगों द्वारा आम बात देखने को मिलने लगी एक दिन शहर के एक व्यक्ति ने अपनी जुबान को काटकर मंदिर में महामाई के चरणों में भेंट कर दी कंजक रूप काली मां ने उस समय विराजमान होकर उसकी जुबान को ठीक करते हुए कहा आज के बाद कोई भगत ऐसा ना करें इतिहास के अनुसार महाराणा रणजीत सिंह जब भी किसी युद्ध पर जाते थे। कंजक रूप काली मां का आशीर्वाद लेकर जाते हैं हमेशा विजई रहते थे महाराणा रणजीत सिंह की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र महाराजा शेर सिंह जब राजगद्दी को लेकर घर की समस्या के चारों तरफ गिर गए तो वह काली मां के मंदिर में आए और मंदिर में काली मां के सामने अपनी तलवार को रखकर कहा कि मैं अपनों से युद्ध नहीं करना चाहता मैं अपनों से कतलेआम नहीं करना चाहता अगर मेरी युद्ध में हार है तो मैं यही अपनी गर्दन काट लेता हूं तो मां उसे समय विराजमान होकर कृपाण महाराज शेर सिंह को देते हुए कहा तुम विजय ही रहोगे तो उसे समय बिना युद्ध , लड़ाई, झगड़ा किए राजपाथ राजा शेर सिंह को मिल गया । एक समय के अनुसार बटाला शहर कुदरती सूखा पड़ गया उस समय महन्तों द्वारा बारिश होने को लेकर काली मां की पूजा अर्चना करने पर दो-तीन दिन वर्षा होती रही ।
जब हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ जो बटाला पाकिस्तान में चला गया था, उस समय बटाला को भारत में शामिल करने को लेकर काली द्वारा मंदिर के महंतों द्वारा मंदिर में हवन यज्ञ किया गया पूरा देश 15 अगस्त को आजाद हुआ जबकि बटाला 17 अगस्त को आजाद होने के साथ भारत में आकर मिला मंदिर में रात्रि 12 बजे महामाई को शयन करवाया जाता है धार्मिक परंपरा के अनुसार महंतो के साथ-साथ चार-पांच भक्तों का होना बहुत जरूरी है एक दिन ऐसा भी आया की एक रात महामाई को शयन करवाते समय सिर्फ तीन मेंबर थे और एक दो और मेंबर के इंतजार नहीं किया जा सकता था। क्योंकि 12 बज चुके थे उसे समय पूजा अर्चना करने वाले भक्तों ने बताया की पता नहीं रात्रि 12 बजे ऐसा चमत्कार हुआ एक भगत मंदिर में आ गया शयन विधि पूरी करने के पश्चात पता ही नहीं चला कि वह कहां गया और उसके बाद उसे भगत को कभी देखा ही नहीं गया। इसके अतिरिक्त अन्य को चमत्कारों से भरा हुआ है काली द्वारा मंदिर का इतिहास, चुनाव किसी भी पार्टी का उम्मीदवार अपने पेपर फाइल करने से पहले मंदिर में नमस्तेक हुए बिना पेपर फाइल करने नहीं जाता नवरात्रों के दिनों में अमित शाह अपने पिता महंत भोले शाह की विरासत को संभालते हुए नवरात्रों में लगातार 7 दिन हवन यज्ञ कर रहे हैं लंगूर बनने वाले बच्चे महामाई का आशीर्वाद लेने के लिए माता काली द्वारा मंदिर में आते हैं प्रत्येक 31 दिसंबर को रात्रि के समय महामाई की भजनों का गुणगान भक्तों द्वारा किया जाता है नव वर्ष का आशीर्वाद प्रत्येक श्रद्धालु भक्त द्वारा काली मां से लिया जाता है।

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