टारगेट पोस्ट मेलबर्न।
इस वर्ष की पहली साहित्य संध्या 19 जनवरी 2024 को शाम 7 बजे क्यू लाइब्रेरी में आयोजित की गई। साहित्य संध्या के विषय मुख्य रूप से विश्व हिंदी दिवस, भारतीय गणतंत्र दिवस तथा ऑस्ट्रेलिया डे थे।
बुधवार 15 जनवरी को डा नरेंद्र अग्रवाल जी के आकस्मिक निधन के कारण यह निर्णय लिया गया कि यह साहित्य संध्या डा. अग्रवाल को श्रद्धांजली के रूप में समर्पित की जाएगी। जिसमे मेलबर्न की सभी हिन्दी संस्थाओं ने जैसे हिन्दी शिक्षा संघ, हिन्दी निकेतन एवं साहित्य संध्या ने सहभागिता निभाई।
गोष्ठी शाम 7 बजे प्रारम्भ हुई जिसका शुभारंभ हिंदी शिक्षा संघ के अध्यक्ष डॉ. सुभाष शर्मा ने भावभीने शब्दों में डॉ अग्रवाल को श्रृद्धांजली अर्पित की और श्रोताओं को उनके हिन्दी के प्रति योगदान बताये, डॉ. अग्रवाल ने वनस्पति विज्ञान में PhD की डिग्री प्राप्त की थी न कि हिंदी में औऱ ऑस्ट्रेलिया में सारा जीवन हिंदी शिक्षा को उन्नत बनाने के लिए समर्पित किया। हिंदी शिक्षा संघ एवं साहित्य संध्या में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है।
गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती मृदुला कक्कड़ जी ने बहुत सुचारु रूप से की।गोष्ठी के संयोजन में हिमांशु कक्कड़ जी ने भी विशेष योगदान दिया।
मृदुला जी ने डॉ. अग्रवाल का हिंदी पुष्प में योगदान बताया औऱ स्वयं पुष्प की संपादिका है के नाते अपने अनुभव साझा किए।
वरिष्ठ कवि श्री राजेंद्र चोपड़ा जी ने साहित्य संध्या की ओर से एक स्वरचित भावुक कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। डॉ सुभाष शर्मा ने भी एक कविता तीनों हिंदी संस्थाओं की ओर से डॉ. अग्रवाल के परिवार को भेंट की। श्री वीरेंद्र जैन जी और उनकी पत्नी ने भी अपनी श्रद्धांजलि एक कविता और गीत के माध्यम से क्रमशः प्रस्तुत की। गौरवी शुक्ला जी ने एक राष्ट्र भक्ति पर गीत प्रस्तुत कर गोष्ठी को खास बनाया। प्रिया शुक्ला जी ने जो इस साहित्य संध्या की संयोजिका भी हैँ डॉ. अग्रवाल को भाव भीनी श्रृद्धांजलि अर्पित की और हिन्दी पर अपनी एक लोकप्रिय कविता मेरा शृंगार है हिंदी प्रस्तुत की।
डॉ. रीना दुबे, अध्यक्ष हिन्दी निकेतन ने डॉ. अग्रवाल के जीवन के मूल्यों और उनके ब्रह्मांड के प्रति रुचि की सराहना की। डॉ. अग्रवाल की पत्नी सुश्री मंजू अग्रवाल जी एवम् उनकी बड़ी बेटी तथा भाई भी इस श्रद्धांजली संध्या में उपस्थित रहे।मंजू जी ने
डॉ. अग्रवाल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और हिन्दी के प्रति उनके समर्पण की चर्चा की।
डा. अग्रवाल की ज्येष्ठ पुत्री शिल्पा गोयल ने भी अपने पिता को श्रृद्धांजली भावुक शब्दों में अर्पित की।
माहौल बदलते हुए संजीव जुत्शी जी ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत गीत से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। वहीं उनकी पत्नी सुश्री सुमन जुत्शी जी ने एक व्यंग प्रस्तुत कर सबको प्रसन्न कर गोष्ठी को सजाया। ताहिर खान जी ने अपनी स्वरचित कविता से समाज में धार्मिक सहिष्णुता पर बड़ी रोचक कविता प्रस्तुत की।
इस अवसर पर भारत से पधारे अतिथि डॉ. राम प्रताप नीरज जी ने भी श्रद्धांजली अर्पित की साथ ही हिंदी पर एक स्वरचित कविता प्रस्तुत की।
गोष्ठी लगभग तीन घण्टे चली औऱ लगभग 10 बजे बड़े भारी मन से समाप्त हो गयी।