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मेलबर्न (आजाद शर्मा )

आपकी जिंदगी में सुख-दुख का आना भगवान की माया है। सृष्टि में जो कुछ हो रहा है उसके पीछे भगवान की माया है। सृष्टि के उधार के लिए भगवान ने नर रूप में आने के लिए हर बार माया का प्रयोग किया है।

यह प्रवचन बालकांड श्री रामचरितमानस पाठ के दौरान पुजारी पुनीत ठाकुर ने श्रद्धालुओं से कहे। उन्होंने एक प्रसंग दौरान बताया कि हिमालय में देव ऋषि नारद जी तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या भंग करने के लिए कामदेव ने काफी कोशिश की लेकिन कामदेव नारद की तपस्या भंग नहीं कर पाए। कामदेव ने नारद से क्षमा मांगी तो नारद ने उन्हें माफ कर दिया‌ ।

कामदेव को माफ करने के बाद देव ऋषि ने सोचा कि भगवान शिव ने कामदेव को क्रोध में आकर भस्म कर दिया था लेकिन उन्होंने उसे माफ कर दिया। पुनीत ठाकुर बताते हैं कि देव ऋषि के मन में इस बात को लेकर मन ही मन में अहंकार का आगमन हुआ। उन्होंने बताया कि देव ऋषि ने यह सारा वाकया भगवान शिव को सनाया। भगवान शिव ने देव ऋषि को कहा यह बात आप किसी को ना बताना और खासकर भगवान विष्णु को मत बताना। देव ऋषि भगवान शिव और भगवान विष्णु की माया अनभिज्ञ थे।

भगवान विष्णु ने अपनी माया के साथ देव ऋषि के पास पहुंचे। देव ऋषि ने भगवान शिव के मना करने के बावजूद भगवान हरि को बताया कि भगवान शिव ने क्रोध में आकर जिसे भस्म कर दिया था मेरे से माफी मांगने पर मैंने उसे माफ कर दिया। वहीं, भगवान विष्णु ने अपनी माया से एक सुंदर शहर और एक सुंदर कन्या का रूप धारण किया। देव ऋषि उसे कन्या को देख मोहित हो गए। देव ऋषि ने उस मोहनी कन्या के पिता से स्वयंबर का आयोजन करवाने के लिए कहा।

मन ही मन में देव ऋषि उसे मोहनी कन्या से शादी करना देव ऋषि उसे मोहनी कन्या से विवाह करना चाहते थे। देव ऋषि ने भगवान से उनके विश्व मोहन रूप को एक दिन के लिए मांगा ताकि वह स्वयंबर में उसे मोहनी कन्या से विवाह कर सके। लेकिन देव ऋषि हर बात के साथ ऐसा जरूर कहते थे कि प्रभु लेकिन जैसी आपकी इच्छा वैसा कर दे। उन्होंने बताया कि प्रभु ने नारद जी का रूप वानर रूप में बना दिया।

जब स्वयंबर  हुआ तो वह मोहनी कन्या देव ऋषि को छोड़ किसी और राजकुमार को वरमाला डाली। देव ऋषि ने क्रोध में जाकर वहां से जब गए तो भगवान के मिले गणों ने उन्हें बताया कि आप तो बहुत सुंदर हो फिर कन्या ने आपको क्यों नहीं चुना। बताते हैं कि जब रास्तेमें जा रहे थे तो उन्होंने जल  में देखा कि उनका रूप वानर रूप है। तब उन्होंने सामने से आ रहे भगवान विष्णु और उनके गणों को श्राप दिया। पुनीत ठाकुर ने बताया कि दोनों गणों को असुर कुल में जन्म लेने और भगवान विष्णु को नर  रूप में आने और नर रूप में अपनी पत्नी से बिछड़ने का श्राप दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आपकी पत्नी से आपको एक वानर ही मिलवाएगा। जब भगवान ने अपनी माया बदली तो देव ऋषि का क्रोध  सब शांत हुआ तो उन्होंनेेे देखा कि उन्होंनेेेे क्रोधित में भगवान को श्राप दे दिया है। पुनीत ठाकुर ने कहा कि हम सभी को परेशान नहीं होना चाहिए बल्कि भगवान पर विश्वास रखना चाहिए। भगवान जो करेंगे सही करेंगे। यहां पर ओम फाउंडेशन अध्यक्ष प्रीति धीमान, संजय कुमार सिंह, कैप्टन सुभाष चौहान, गारगी , आशना शर्मा, वंदना, तरुण शर्मा, चित्रा चौहान , चिरंजीवी सिंह, गौरंग व अन्य मौजूद रहे।

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