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मेलबर्न —

TMC नेता कल्याण बनर्जी ने संसद में जो कहा उसके जवाब में यह कविता पढ़ें।

छप्पन से छत्तीस

कुछ कहते हैं कि ट्रंप के आगे बंद जुबा हो जाती है
मोदी की छाती छप्पन से तब छत्तीस ही रह जाती है
ऐसा कहने की हिम्मत भी बस उन लोगों को आती है
ममता के आगे जिन सब की चढ्ढी गीली होजाती है

मोदी तो घर में घुसता है घुस के मार के आता है
पर लल्लू पंजू लोगों की हर दिन ही गाली खाता है।
एक से एक बड़ा उल्लू मोदी को अकल सिखाता है
जैसे खुद काजू किशमिश और मोदी तो कद्दू खाता हैं

कुछ तो मोदी को चिल्लाकर सबसे डरपोक बताते है
यह लोग सोनिया के आगे भीगी बिल्ली बन जाते हैं
भरे सदन में जब मोदी जी खुल कर के चिल्लाते हैं
अमता ममता आहुल राहुल भीगी बिल्ली बन जाते हैं

ऐरा ग़ैरा नाथू खैरा कोई कुछ कहने लगता है
नफा और नुकसान ध्यान उनका विकास पर रहता है
वह बिना बात लल्लू पंजू लोगों से नहीं उलझता है
एक चपत देता है जब तब सब को चुप कर देता है

जिनके बस का कुछ नहीं और वह तानाशाह बताते है
मोदी जी के सपने दिन में उनको रह रह कर आते हैं
मोदी जी काम बहुत करते और रेस्ट नहीं करपाते है
पर नहीं किसी घन चक्कर के चक्कर में समय गंवाते हैं

गर तानाशाह कहोगे तो वह संन्यासी बन जायेंगे
सब को यह पता अभी से है फिर योगी जी ही आयेंगे
योगी जी यदि आयेंगे तो फिर वह ऐसा नाच नचाएंगे
तानाशाह शब्द नहीं मुंह से फिर लोग कभी कह पाएंगे ।।

जब लोक तंत्र में जीभ कभी ज्यादा लंबी हो जाती है
तब संविधान की वह किताब चिथड़े चिथड़े होजाती है
ऐसे में कभी कभी अच्छी सरकार चली भी जाती है
फिर इंकलाब आता है या फिर जुबां काट दी जाती है ।।

मोदी की छाती छप्पन से छत्तीस ही तब रह जाती है
देशी गद्दारों की जमात जब बे लगाम हो जाती है
ऐसा कहने की हिम्मत बस उन लोगों को ही आती है
सोनिया के आगे जिन सबकी घिग्घी ही बांध जाती है
या फिर फंडिंग अमरीका चाईना से सीधी ही आती है।

लेखक — डॉक्टर सुभाष शर्मा
ऑस्ट्रेलिया।

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