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भीष्म पितामाह को 41 वें पूर्व जन्म के पाप के कारण महाभारत के यद्ध में 85

 

सच्चे मन से भगवान व गुरु की शरण में जाने से वासनाओं से मिलता छुटकारा, मोक्ष के द्वार खुलते

मेलबर्न (आजाद शर्मा)

बिना भाग्य के सत्संग नहीं मिलता । भगवान एवं गुरु की शरण में जाने से आपके सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं। आपके पूर्व जन्मों के कर्मों से ही आपका वर्तमान तय होता है। यह प्रवचन सचखंड नानक धाम गद्दीनशीन हजूर महाराज त्रिलोचन दास जी ने सत्संग में दिए।

हजूर महाराज ने एक प्रसंग दौरान बताया कि भीष्म पितामाह को उनके 41 पूर्व जन्म के पाप का दंड भी भोगना पड़ा था उन्होंने 40 पूर्व जन्म में कोई भी पाप नहीं किया था। वर्तमान में द्रोपदी के चीर हरण के समय बलशाली होने के बावजूद चुप्पी के कारण उन्हें उनके 41 वें पूर्व जन्म के पाप का दंड मिला था। उन्होंने बताया कि एक महापुरुष मोहनदास ने पर नारी की चाहत को लेकर हुए पाप को लेकर उसी समय उसी महिला के घर में जाकर अपनी आंखों को दंड देकर पश्चाताप किया था। उन्होंने कहा कि आप सभी को भी इन वासनाओं के नष्ट के लिए भगवान के शरण में जाए। आप सभी भगवान के बच्चे हैं। भगवान से मांगने पर भगवान सब कुछ देते हैं।

भगवान अपने भक्त का भाव देखते हैं। गुरु से मिले मूल मंत्र से आपके पूर्व जन्मों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान के अनेकों नाम है। भगवान के नाम में बहुत ताकत है, भगवान के नामसे जुड़े । नानक नाम चढ़दी कला तेरे भाने सरबत दा भला के जयकारों से आकाश गूंज उठा। पता नहीं किस रूप में नारायण मिल जाएगे । यहां पर दीप चौधरी , विकास भारद्वाज, हैरी सिंह, जगतपाल, विशाल शर्मा, सूरज हांडा, राकेश राय जादा, चंद्र शर्मा, एचपी भारद्वाज, राहुल बब्बर, विकास, जगमोहन, केतन राजपाल , सुभाष चौहान , साबी व अन्य मौजूद रहे।

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