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केजरी बबाल
मेरा तू आई आई टी का लाल
हुआ होली पर क्या यह हाल
कहा था मत कर रोज बबाल
खाएगा जेल की रोटी दाल
करके दारू का घोटाला
मोदी पर काला रंग डाला
सच्चाई की जप जप माला
नए नए नित किये घोटाला
उठा होली पर आज सवाल
बताओ कहाँ से आया माल १
महल दुमहले खूब बनाये
लाखों के परदे लगवाए
जो पूछे उस पर चढ़ जाए
ऊपर से आँखे दिखलाये ||
बता ये कैसे किया कमाल
की मेरे संत केजरी वाल ।। २
अनपढ़ राजा अनपढ़ राजा
खूब बजाया तू ने बाजा
आईआरएस आईआईटी का राजा
दूध बेंचता भैंस का ताजा
गले तुलसी की माला डाल
बेचता फिरता मीट हलाल ३
कट्टर ईमानदार बताता
काहे यह सब ढोंग रचाता
कालिख अपने आप लगाता
गाय के दूध से रोज नहाता
लगा कर तू जूते में नाल
दिखाता क्यों घोड़ी की चाल ४
रोज हवाई किले बनाये
पूरा एक न तू कर पाए
रोज खजाने खूब लुटाये
जब देखो नंगा होजाये
पीस अब तू तिहाड़ में दाल
की सीखे तुझसे कोइ चाल ४
संजय सिसौदिया और सतिंदर
अब उनके संग तू भी अंदर
अभी इलेक्शन का है मंजर
नाटक दिखला मस्त कलंदर
मलो आपस में खूब गुलाल
मेरे अरविंद केजरी वाल ।। ५
अन्ना गन्ना समझ न पाया
चूस चूस कर के निपटाया
जग उल्लू तुझे समझ न पाया
आंदोलन का मजा उठाया
न पंगा ईडी से ले लाल
मेरे अरविंद केजरीवाल ।। ६
ईडी के थे पांच बुलावे
एक एक कर तुमने टारे
ठीक इलेक्शन से पहले ही
प्लानिंग क्या बढ़िया की प्यारे
मगर मोदी है तेरा काल
मार के गाल करेगा लाल ।।७
लेखक— डॉ सुभाष शर्मा , साहित्य संध्या, मेलबर्न ।