विश्व भर में 300 से अधिक रामायणों के साक्ष्य उपलब्ध- डॉक्टर सर्वेश्वर
राम जी का जीवन चरित्र मानव के अंदर भक्ति, वैराग्य, प्रेम का बीज रोपित करता — स्वामी सज्जनानंद
मेलबर्न (आजाद शर्मा)
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, मेलबर्न की ओर से श्री राम नवमी और भारतीय नववर्ष का आयोजन धूमधाम से मेल्टन कम्युनिटी हॉल में किया गया। कार्यक्रम में मेलबर्न के विभिन्न विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के सांसदों एवं विधायक में सेम रेइ ( फेडरल लेबर मेंबर का हावके ) स्टीव मेगई (मेंबर ऑफ़ थे विक्टोरियन लेजिसलेटिव असेंबली) मैथ्यू हिलकारी (मेंबर का विक्टोरिया लेजिसलेटिव असेंबली) जो मेककरेन ( मेंबर ऑफ़ थे विक्टोरियन लेजिसलेटिव काउंसिल) डॉ सुशील कुमार ( काउंसिल जर्नल ऑफ़ इंडिया) बॉब टर्नर ( काउंसलर मेल्टन काउसिल) ने विशेष रूप से शिरकत की।
500 से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम में पहुंचकर सनातन धर्म का ज्ञान प्राप्त किया। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना के साथ हुई।
इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक व संचालक गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के युवा शिष्यों द्वारा श्री राम के जीवन चरित्रों को दर्शाती नृत्य नाटिकाओं का मंचन किया गया। जिसने समस्त दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
इस अवसर पर भारत से विशेष रूप से श्री आशुतोष महाराज जी के परम शिष्य स्वामी सज्जनानंद और स्वामी डॉ. सर्वेश्वर मेलबर्न पधारे।
उन्होंने उपस्थित भगवद प्रेमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राम जी का जीवन चरित्र मानव के अंदर भक्ति, वैराग्य, प्रेम का बीज रोपित करता है। त्रेता युग से लेकर आज तक श्री राम जी सबके प्रिय बने हैं।
यहीं तो कारण है कि विश्व भर में 300 से अधिक रामायणों के साक्ष्य उपलब्ध हैं। भारत देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूर्व से लेकर पश्चिम तक श्री राम की लोकप्रियता का कोई पारावार नहीं है।
केवल भारत ही क्यों, श्री राम की लोकप्रियता तो देश-प्रदेश की सब सीमाओं का अतिक्रमण विदेशियों के हृदयों को भी झंकृत कर गई।
यहीं तो कारण है कि तिब्बत में तिब्बती रामायण, तुर्किस्तान में खोतानी रामायण, थाईलैंड में रामकियेन, बर्मा में रामवत्थु, नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण, कम्बोडिया में रामकर, इंडोनेशिया में ककबिनरामायण, जावा में खमैर रामायण प्रचलित है।
श्री राम की इस अनंत लोकप्रियता का कारण है उनकी मर्यादा और उनके आदर्श। आज उन्हीं आदर्शों का अभाव है कि मानव पतन की गहरी खाइयों में धँसता चला जा रहा है। प्रेम, दया, त्याग, सौहार्द्र जैसे शब्द केवल शब्दकोश तक ही सिमट कर रह गए हैं। आज प्रॉपर्टी के लिए एक भाई अपने सगे भाई का दुश्मन है। पुत्र पिता के रक्त का प्यासा है। वृद्ध होने पर माता पिता को उन्हीं की संतान वृद्धाश्रम में भेज देती है। ये सब दर्शाता है श्री राम की धरती से उनके आदर्शों का विघटन।
अतः आज ज़रूरत है पुनः उन्हीं आदर्शों को स्थापित करने की। इसके लिए केवल एकमात्र साधन है – श्री राम तत्व का दर्शन अपने घट में प्राप्त करना।
उसके लिए ज़रूरत है पूर्ण सद्गुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर दिव्य चक्षु को जाग्रत करवाना। आज दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान यही ब्रह्मज्ञान प्रदान कर जन-जन के भीतर राम की दिव्य ज्योति का जागरण कर रहा है।
वहीं दिव्या ज्योति जागृति संस्थान की तरफ से कार्यक्रम में पहुंचे मुख्य अतिथियों को सम्मानित गया। वहीं संस्थान की तरफ से आए हुए लोगोंं के लिए विभिन्न विभिन्न व्यंजनों के लंगर का प्रबंध किया गया।