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मेलबर्न (आजाद शर्मा)

भगवान विष्णु ( हरि जी) के द्वारपाल जय और विजय ने नारद जी को भगवान के दर्शन करने से रोकने पर सनकादिक ने क्रोध में आकर उन दोनों को तीन जन्म असुर कुल में जन्म लेने का श्राप दिया। रावण और कुंभकरण इन तीन जन्मों के आखरी असुर थे। यह प्रवचन पुजारी पुनीत ठाकुर ने ओम फाउंडेशन की तरफ से आयोजित बालकांड श्री राम चरितमानस पाठ के दौरान श्रद्धालुओं से सांझा किए।

उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने सनकादिक  को जय और विजय को इस श्राप से मुक्ति के लिए कहा लेकिन उन्होंने कहा कि अब इनको श्राप से मुक्ति नहीं मिल सकती। भगवान विष्णु ने अपने द्वारपालों को मिले श्राप से मुक्ति दिलने के लिए पहले वामन अवतार धारण कर उनका उधार किया। उन्होंने बताया कि रावण और कुंभकरण का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने भगवान राम का अवतार लिया। आप भगवान पर विश्वास रखें। क्योंकि भगवान अपने भक्त की हार को भी जीत में बदल देते हैं। उन्होंने बताया कि एक असुर जालंधर था।

इसकी पत्नी की तपस्या से वह अपराजित हो रहा था। भगवान विष्णु की पूजा करने वाली वृंदा ने अपने साथ हुए छल के कारण भगवान विष्णु को श्राप दे दिया था। भगवान शंकर के कहने पर वृंदा ने अपने श्राप से भगवान विष्णु को मुक्त किया था। लेकिन भगवान विष्णु जिन्हें शालिग्राम भी कहा उनके साथ तुलसी का विवाह भी अनिवार्य कर दिया गया। उन्होंने बताया कि हमारे आध्यात्मिक ज्ञान में बहुत शक्ति है ‌। ओम फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रीति धीमान ने सभी का कथा से जुड़ने के लिए धन्यवाद किया ‌। भगवान राम की आरती के साथ तीसरे दिन की कथा समाप्त हुई। यहां पर मनोज, वंदना , आशना शर्मा, अनामिका सिंह, ललिता, तरुण, रचना , माधवी , एस कोंडा, रमेश व अन्य मौजूद रहे।

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