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मेलबर्न (आजाद शर्मा)

बाबा गोस्वामी तुलसीदास श्री रामचरितमानस में लिखते हैं कि माता पार्वती में नारायण की महिमा को जानने के लिए बड़ी जिज्ञासा थी। माता पार्वती भगवान भोलेनाथ से हर समय नारायण( हरि जी) की लीलाओं पर ही बातें करती थी। यह प्रवचन ठाकुर पुनीत पुजारी ने ओम फाउंडेशन की तरफ से आयोजित बालकांड श्री रामचरितमानस पाठ के सातवें दिन की कथा दौरान कहे।

उन्होंने बताया कि भगवान राम के पिता का नाम नेमी भी है। एक भयंकर असुर जो को दसों दिशाओं  से नेमी पर हमला कर रहा था। उनके द्वारा उक्त असुर को पराजित करने पर गुरु वशिष्ट ने उन्हें दशरथ का नाम दिया। बताते हैं कि रावण के पुत्र मेघनाथ ने देवताओं को हरा दिया था। इंद्र को हराने पर मेघनाथ से उसका नाम इंद्रजीत पड़ा था। ठाकुर पुनीत पुजारी  ने बताया कि रावण और मेघनाथ के प्रकोप से दुखी होकर भगवान शिव के पास गए ।

भगवान शिव देवताओं के साथ भगवान हरि के पास गए। बताते हैं कि भगवान हरि ने रावण व उसके बेटे मेघनाथ के कारण अधर्म को मिल रहे बढ़ावे के अंत के लिए नर रूप में अवतार लेने का देवताओं से वादा किया। ब्रह्मा जी ने भगवान हरि के राम रूप में अवतार लेने उपरांत सभी देवताओं को अलग-अलग रूप में धरती पर जाकर भगवान राम की सेवा करने को कहा। बताते हैं कि नल नीर जैसे कई रूपों में देवता भगवान राम के अवतार के समय में धरती पर पहुंचे। पुनीत ठाकुर ने बताया कि भगवान अपने भक्त की मदद के लिए बैकुंठ धाम से धरती पर आ जाते हैं। अपना विश्वास और श्रद्धा कभी भी कम ना होने दें। यहां पर फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रीति धीमान, शेखर, तरुण शर्मा, वंदना कुमारी, शिल्पी, कैप्टन सुभाष चौहान, चित्रा चौहान, आशना शर्मा, भव्य शर्मा, रचना , एस कोंडा, ललिता व अन्य मौजूद रहे।

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