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टारगेट पोस्ट, नई दिल्ली ।

दुर्योधन और गांधारी के शुभचिंतक दिखने वाले, महाभारत के शकुनि मामा ने उनके पूरे परिवार का ही सर्वनाश कैसे कर डाला, ये तो सब जानते ही हैं ! इसका सीधा अर्थ ये है कि कुछ लोग शुभचिंतक दिखते हैं पर होते नहीं !
पिछले कुछ महीनों से आशाराम बापू के भक्तों में एक नया आंतरिक विवाद देखने को मिला। 11 वर्षों से जेल की सजा काट रहे संत आशाराम बापू के समर्थन में एक नया नाम जुड़ा है, कथित स्वामी अमृतानंद जिसे लेकर बापू के भक्तों में दो गुट बने हुए दिखे।

एक वो जो इन महाराज के जरिये बापू को निर्दोष बरी करवाना चाहता है और दूसरा वो गुट जो अमृतानन्द महाराज से विरोध रखता है। इतने वर्षों में अगर बापू को न्याय नहीं मिला और कोई स्वामी महाराज इसपर आगे आकर समर्थन दिखाए तो इसमें साधकों के एक बड़े वर्ग में विरोध किसलिए ? आखिर हमने जानकारी हासिल की और कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आये इस विवाद को समझने में।
पता चला कि कथित स्वामी अमृतानंद एक फुल टाइम यूट्यूबर है जिसके अपने खुद के यूट्यूब चैनल है जहाँ ये 6 -8 घंटे लाइव करता है। सोशल मीडिया पर कुछ बड़े यूट्यूबर्स ने अमृतानंद के कुछ राज खोले जैसे कि इसने कुछ बड़ी संस्थाओं से जुड़कर उन्हें टारगेट करके लाखों करोड़ों रुपयों का गबन किया है। इसी कारण ब्रज फाउंडेशन, यति महाराज, आर्य समाज एवं अन्य कई संस्थाओ से जुड़े लोग भी इनसे नाराज़ हैं।
राजस्थान में अवैध जमीन हड़पने को लेकर अमृतानंद पर हाई कोर्ट की कार्यवाही की खबरें पहले ही सोशल मीडिया में बड़े अख़बारों में प्रकाशित हैं। एक बड़े समाजसेवा कर्मी संदीप देव के यूट्यूब चैनल इंडिया स्पीक्स डेली पर फरवरी 2024 में ही जानकारी दी गयी थी कि अमृतानंद का अगला निशाना आशाराम बापू के साधक हैं। ये भी बताया जाता है कि अमृतानंद, जगह के साथ ही अपना नाम भी बदलता रहता है इसका असली नाम आनंद गोपाल दास है।

इन सब बातों से नाराज़ आशाराम बापू के साधकों का कहना है कि बापूजी को न्याय दिलवाने का आश्वासन देकर, इसने पिछले तीन महीनो से साधकों में आंतरिक विवाद पैदा किया है। साथ ही वर्तमान परिस्थिति में अपने गुरु के गंभीर स्वास्थ्य और न्याय में देरी को लेकर जब साधक व्यथित हैं तो इस अवसर का दुरूपयोग करके इसने अपने चैनल के जरिये पैसे भी ऐंठे हैं। जाँच से ये बात भी सामने आयी कि हाल ही में आशाराम बापू की संस्था द्वारा चलाये जा रहे सेवा-सत्संग आदि कार्यक्रमों में अमृतानंद ने कुछ साधकों को भड़काकर उपद्रव भी करवाया है। इन सब बातों का पता लगने पर आशाराम बापू भी अमृतानंद से नाराज़ हुए हैं। इन मामलों में अमृतानंद समेत लगभग 15 लोगों पर क़ानूनी कार्यवाही प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।  ये भी बता दें कि अमृतानंद के समर्थन की इस मुहीम में आशाराम बापू की संस्था ने ईमेल पत्र तथा फोन के जरिये, साथ मिलकर आगे बढ़ने का भी निमंत्रण दिया था। साथ ही जोधपुर जेल में बापू की सहमति लेकर समर्थन करने का प्रस्ताव रखा था जिसपर अमृतानंद की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला। तमाम तथ्यों को देखते हुए फ़िलहाल भक्तो में अमृतानंद की ओर झुकाव कम हुआ है।

हालाँकि ये तो वक्त ही बताएगा कि आशाराम बापू के भक्तों को कब न्याय मिलता है लेकिन शकुनि मामा के रूप में न्याय दिलवाने की आड़ लेकर कोई भक्तों की भावनाओं का गलत फायदा न उठाये, ये तो उनके भक्तों को ही सोचना होगा!!

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