मेलबर्न (आजाद शर्मा)
आज की आधुनिक दुनिया में, दुख और अकेलापन दुर्भाग्यवश वृद्धावस्था के पर्याय बन गए हैं। विश्व भर में, बड़ी संख्या में वृद्ध लोग भावनात्मक रूप से अलग-थलग महसूस करते हैं, जो अक्सर सुसज्जित लेकिन भावनात्मक रूप से खाली वृद्धाश्रमों में रहते हैं।
यह सामाजिक वास्तविकता एक गहरे संकट को दर्शाती है: पीढ़ियों के बीच का अंतर, जहाँ बच्चे, दैनिक जिम्मेदारियों से अभिभूत होकर, अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए बहुत कम समय निकाल पाते हैं। इस गहरे मानवीय मुद्दे को संबोधित करते हुए, दिल्ली, भारत में मुख्यालय वाले एक अंतरराष्ट्रीय सामाजिक-आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगठन, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (DJJS) ने मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में तीन वर्कशॉप्स आयोजित कीं, जिनका शीर्षक था ‘पीस फॉर ओल्डर बेबीज़ – हम भी अगर बच्चे होते’। ये सभी प्रोग्राम्स 5 से 7 मई 2025 को लगातार तीन दिनों तक टार्नीट कम्युनिटी सेंटर के सीनियर क्लब 60, पेनरोस कम्युनिटी सेंटर के भारतीय सीनियर क्लब और यूनाइटेड सीनियर क्लब में आयोजित किये गए।
DJJS के कॉर्पोरेट वर्कशॉप विंग, पीस प्रोग्राम द्वारा इन आयोजनों में 250 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों ने भाग लिया, जिनका सम्मान, आनंद और उत्साह के साथ स्वागत किया गया। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य वृद्धजनों में जीवन की ऊर्जा को पुनर्जनन करना और उन्हें यह विश्वास दिलाना था कि उम्र के बावजूद दिल से हमेशा युवा रहा जा सकता है।
इन वर्कशॉप्स का नेतृत्व भारत की तीन आध्यात्मिक रूप से सशक्त महिलाओं — साध्वी तपेश्वरी भारती, साध्वी परमा भारती और साध्वी शैलासा भारती ने किया, जो सभी DJJS के संस्थापक और प्रमुख, प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक दिव्य गुरु सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्याएँ हैं। ये साध्वियाँ अपने साथ ज्ञान, करुणा और प्रैक्टिकल टेक्निक्स का एक सुंदर मिश्रण लेकर आईं, जो वृद्धजनों को आंतरिक रिक्तता से स्थायी शांति की ओर ले जाने के लिए डिज़ाइन की गई थी।
पहले सत्र में प्रतिभागियों को पुराने बॉलीवुड फिल्मी गीतों के समूह में गाने के लिए आमंत्रित किया गया, जिनमें गहरे जीवन संदेश छिपे थे। जैसे ही, सिनेमाई स्वर्णिम दिनों को फिर से जीवंत करते हुए, वृद्धजनों ने एक साथ गाया, पूरा माहौल आनंद से भर गया। साध्वी शैलासा भारती, फैसिलिटेटर, पीस प्रोग्राम, ने फिर प्रत्येक गीत में छिपे जीवन के पाठों को समझाया, जिससे यह एक मजेदार और शिक्षाप्रद गतिविधि बन गई।
साध्वी परमा भारती, फैसिलिटेटर, पीस प्रोग्राम, ने दूसरे सत्र का नेतृत्व किया जो आंतरिक बच्चे को फिर से जगाने पर केंद्रित था। उन्होंने प्रतिभागियों को दो उत्साहपूर्ण एक्टिविटीज़ करवाई। पहली थी ‘फॉन्डल द बेबीज़ इन बिग बॉडीज़!’ जिसने वृद्धजनों को बचपन की सादगी और आनंद को फिर से अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। दूसरी थी ‘प्रपोज़ टू पोज़!’, जिसने प्रतिभागियों को हर क्षण का आनंद लेने और कैमरों के लिए खुशी से पोज़ देने के लिए प्रेरित किया, जिससे वे अपने स्वर्णिम वर्षों को गर्व के साथ प्रदर्शित कर सकें। यह सत्र चंचलता और हँसी से भरा था, जिसने प्रतिभागियों को अपनी झिझक छोड़ने और भूले हुए आनंदों से फिर से जुड़ने में मदद की।
अंतिम सत्र का नेतृत्व साध्वी तपेश्वरी भारती, प्रिंसिपल कोऑर्डिनेटर, पीस प्रोग्राम, ने किया। उन्होंने दो समापन एक्टिविटीज़ के माध्यम से आध्यात्मिक गहराई प्रदान की। एक थी ‘नो एज-बार फॉर फन!’, जिसने वृद्धजनों को जीवन के उत्साह को जीवित रखने के लिए प्रेरित किया, यह साबित करते हुए कि आनंद की कोई उम्र नहीं होती। और दसूरी थी, ‘बी एलिजिबल फॉर मिलियन डॉलर ब्लेसिंग्स!’, जिसने ब्रह्मज्ञान ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया, प्रतिभागियों को आध्यात्मिक रूप से पोषित व्यक्तित्व बनने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे वे युवा पीढ़ियों को ज्ञान और समृद्धि के साथ आशीर्वाद दे सकें।
अपने दिव्य गुरु सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के गहन दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए, साध्वी तपेश्वरी भारती ने कहा, “समाज में पर्याप्त सुसज्जित और अच्छी तरह से चल रहे वृद्धाश्रम हैं। अब, हमें ऐसा समाज बनाना होगा जो उच्च नैतिक मूल्य प्रणाली से सुसज्जित हो ताकि ये वृद्धाश्रम अप्रचलित हो जाएँ। वृद्धाश्रमों की कोई आवश्यकता नहीं है। हमें ऐसा समाज बनाना होगा जहाँ बच्चे अपने माता-पिता का सम्मान करना सीखें, उनकी उपस्थिति को इतना महत्व दें कि ऐसे वृद्धाश्रमों की ज़रूरत ही न रहे। इसलिए, हम समाज को यही संदेश देना चाहते हैं।”