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मेलबर्न (आजाद शर्मा)

राजा मनु और महारानी शतरूपा ने 50 की आयु के बाद भगवान की कठोर तपस्या की। तपस्या करने के बाद राजा मनु ने भगवान से उनके जैसा बेटा मिलने की कामना की।

वहीं महारानी शतरूपा ने भी भगवान को उनके घर जन्म लेने की प्रार्थना की। भगवान ने दोनों की तपस्या से खुश होकर राजा मनु और शतरूपा दोनों के अगले जन्म दशरथ और कौशल्या रूप में  भगवान राम के रूप में जन्म लिया। यह प्रवचन पुजारी पुनीत ठाकुर ने बालकांड श्री रामचरितमानस पाठ दौरान कहे।

उन्होंने कहा कि भगवान आपका भाव देखते हैं। उन्होंने एक प्रसंग दौरान बताया कि हमारे इतिहास में एक और प्रभावशाली राजा भानु प्रताप हुए हैं। उन्होंने कई युद्ध कर जीत प्राप्त की। बताते हैं कि उन्हें एक माया के साथ उनके कुल का नाश हुआ। उन्होंने बताया कि राजा भानु प्रताप से हारकर कुछ राजा जंगलों में छुप कर रह रहे थे। राजा भानु एक दिन शिकार पर गए तो उक्त राजाओं ने उन्हें देख लिया। बताते हैं कि उक्त राजाओं माया के साथ राजा भानु को भ्रमित कर लिया।

राजा भानु जब उन वेश बदले राजाओं के संत रूप में अपने मन की इच्छा उन्हें बता कर खुद ही उनके जाल में फंस गए। संत के रूप में बैठे राजा ने राजा भानु को कहा की वह उसकी त्रिलोकी विजेता बनने की कामना पूरी करवा सकते हैं तो राजा भानु ने उक्त संत रूपी राजा के कहने पर अपने सभी मंत्री एवं सेना को जेल में बंद कर दिया। बताते हैं कि जब एक लाख के करीब ब्राह्मण भोजन प्रसाद के लिए पहुंचे तो उक्त राजाओं ने भोजन में मांस एवं मंदिरा डाल दिया। बताते हैं कि जब ब्राह्मण भोजन करने के लिए गंगाजल से संकल्प लेने लगे तो भविष्यवाणी हुई कि इस प्रसाद में मांस एवं मंदिरा डली हुई है। पुनीत ठाकुर ने बताया कि तभी एक लाख ब्राह्मणों ने राजा भानु प्रताप को असुर कुल में जन्म लेने और उनके कुल का नाश होने का श्राप दिया। बताते हैं कि राजा भानु को श्राप से मुक्ति पाने के लिए असुर कुल में रावण के रूप में जन्म लिया था। भगवान राम के साथ हुए युद्ध में रावण के सारा कुल नाश हुआ था।

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